इस माहवारी स्वच्छता दिवस, 28 मई 2019 को वॉटरएड इंडिया, ‘माहवारी से जुड़े उत्पादों के सूचनाबद्ध चयन’ का आह्वान करता है

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27 May 2019
माहवारी स्वच्छता दिवस
Image: WaterAid/ Prashanth Vishwanathan

माहवारी से जुड़े उत्पादों को लेकर महिलाएं और लड़कियां कितनी जागरुक हैं?

सैनिटरी पैड्स के अलावा क्या कोई और विकल्प भी उपलब्ध है?

उत्पाद की स्थिरता के बारे में क्या कहना है?

इस साल माहवारी स्वच्छता दिवस के ठीक पहले, वॉटरएड इंडिया ने ‘माहवारी स्वच्छता प्रबंधन – उत्पादों के सूचनाबद्ध चुनाव और उनके निपटान’पर एक रिपोर्ट जारी की है. इसका उद्देश्य भारत भर में महिलाओं और लड़कियों के लिए माहवारी से जुड़े उत्पादों को लेकर जागरूकता पैदा करना है ताकि वे अपनी जरूरत के हिसाब से सब जानकार चुनाव करना शुरू कर सकें.

इसका मकसद माहवारी से जुड़े उत्पादों - जिनमें डिस्पोज़ेबल पैड्स, दोबारा इस्तेमाल होने वाले पैड्स और मैनस्ट्रुअल कप्स शामिल हैं - की स्थिरता और हर उत्पाद श्रेणी पर अपशिष्ट भार जैसे विभिन्न मापदंड के आधार पर तुलनात्मक विश्लेषण करना है. तुलनात्मक विश्लेषण बताता है कि सेनिटेरी पैड्स का इस्तेमाल करने वाली महिलाएं और लड़कियां अपने जीवन भर में औसतन 6,120 डिस्पोज़ेबल पैड्स का इस्तेमाल करती है, वहीं इसकी जगह कपड़े से बने पैड इस्तेमाल करने वाली (136 दोबारा इस्तेमाल होने वाले पैड्स) और एक मेन्स्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करने वाली अपने जीवन में (सिर्फ 7 दोबारा उपयोग में आने वाले मेन्स्ट्रुअल कप) का उपयोग करती हैं.

माहवारी स्वच्छता से जुड़े उत्पाद, खास कर डिस्पोज़ेबल सैनिटरी पैड्स के इस्तेमाल में बीते दस सालों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखने को मिली है. राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वे 4 (2015-16) के मुताबिक अकेले ग्रामीण भारत में रहने वाली 15-24 साल की युवतियां में से 48 फीसद ने सेनिटरी पैड्स का इस्तेमाल किया है. उत्पादों की एक लबीं फेहरिस्त होने के बावजूद डिस्पोज़ेबल सैनिटेरी पैड्स सबसे ज्यादा चर्चित उत्पाद बन चुका है.

माहवारी स्वच्छता प्रबंधन से जुड़े जागरुकता कार्यक्रमों में भी विशेषकर सैनेटरी पैड्स के इस्तेमाल पर जोर दिया जाता रहा है. सरकार और बड़े निर्माताओं के जरिये औरतों और लड़कियो तक पहुंचने वालों में मुख्यतौर पर वो उत्पाद होते हैं जो नॉन-कंपोस्टेबल सामग्री से बने होते हैं - ये वो सामग्री है जिसके गलने में सैंकड़ों साल लग जाते हैं. इससे बड़ी मात्रा में पैदा हो रहे कचरे के अलावा, महिलाओं और लड़कियों के लिए इनके निपटान के विकल्प भी आसान नहीं होते हैं, जिसकी वजह वो इसे ज्यादा देर तक पहने रहने को मजबूर हो जाती है, जिससे उन्हें बेवजह असहजता और सेहत से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना प़ड़ता है.

ज्यादातर माहवारी स्वच्छता से जुड़े उत्पाद, उनका निपटान और उचित कूड़ा प्रबंधन के उपायों की एक साथ बात नहीं की जाती. जबकि, उत्पादों के चुनाव और उनसे होने वाले कूड़े के प्रबंधन का समाधान एक दूसरे से गहरे जुड़े हुए हैं.

भारत में करीब 33.6 करोड़ लड़कियां और महिलाओं को माहवारी होती है. एक अनुमान के मुताबिक वर्तमान में करीब 12.1 करोड़ औरतें और महिलाएं स्थानीय और व्यवसायिक तौर पर बनाए जा रहे डिस्पोज़ेबल सैनिटेरी नैपकिन का इस्तेमाल कर रही हैं. कल्पना कीजिए उस कूड़े के ढेर की जो हर साल पैदा होने वाले 2,178 करोड़ डिस्पोज़ेबल पैड्स से तैयार हो रहा है.

भारत में माहवारी स्वच्छता के मामले में हस्तक्षेप करके माहवारी स्वच्छता के टिकाऊ तौर तरीकों को लेकर जागरूकता पैदा की जानी चाहिए. इसका असर उपयोग करने वालों की सेहत, सफाई कर्मचारियों के सम्मान और पर्यावरण की सुरक्षा पर भी पड़ेगा.

अरुंधति मुरलीधरन, मैनेजर- पॉलिसी, वॉटरएड इंडिया, कहती हैं-

“भारत में माहवारी स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर तस्वीर बदल रही है, यहां अब पहले से कहीं ज्यादा विविध उत्पाद उपलब्ध हैं. ऐसे अहम मोड़ पर, माहवारी स्वच्छता कार्यक्रम और नीतियों में उत्पादों के सूचनाबद्ध चयन के तरीके और वकालत की बहुत जरूरत है.जानकारी और सूचना के साथ उत्पादों का चयन करने से लड़कियां और महिलाएं अपनी जरूरत और सहजता, खर्च करने की योग्यता, और जिन हालात में वो रहती हैं और माहवारी का अनुभव करती हैं, उसके मुताबिक सुरक्षित माहवारी स्वच्छता से जुड़े उत्पाद का चुनाव कर सकती हैं.”

इस माहवारी स्वच्छता दिवस (मई 28) वॉटरएड इंडिया ‘जानकारी के साथ उत्पाद के चयन’ का आह्वान करता है. एक महिला या लड़की प्रोडक्ट रेंज के बारे में पूरी और निष्पक्ष जानकारी जुटाने के बाद माहावरी स्वच्छता से जुड़ा उत्पाद चुने, जिसमें उससे जुड़े फायदे और नुकसान शामिल होंगे ताकि वो उनके निजी, प्रजनन संबंधी सेहत, सामाजिक-आर्थिक जरूरत और वास्तविक की जरूरतों को पूरा कर सके.

इस रिपोर्ट के ज़रिये- वॉटरएड इंडिया महिलाओं और लड़कियों के लिए कई तरह की बातों को करने पर जोर देता हैं जिसमें:

  • उत्पाद के चयन और इस्तेमाल के दौरान:
  • मार्केट में उपलब्ध माहवारी स्वच्छता उत्पाद की पहचान करना और उनका गुणवत्ता प्रमाणपत्र को देखें
  • ज़रूरत, आराम, उपलब्धता, दाम, निपटान में आसान और पर्यावरण बचाव को ध्यान रखते हुए सही माहवारी स्वच्छता उत्पाद का चयन करें
  • अलग-अलग उत्पादों की जांच और जो बेहतर लगे उसे चुनें
  • आरामदायक होने के साथ कूड़े को कम करने के तरीके को परखें
  • स्थिरता के बारे में सोचे
  • उत्पाद का निपटान करते हुए:
    • डिस्पोज़ेबल पैड्स और टेम्पून्स को निपटान से पहले पेपर में लपेटें
    • माहवारी से जुड़े कूड़े को बाकी घर के कूड़े से अलग रखने की कोशिश करें, और कूड़े को अलग-अलग इकट्ठा करने को बढ़ावा दें. इस्तेमाल किए उत्पाद को शौचालय में ना बहाएं, खुले में न जलाएं और कम गहरे गड्ढों में न दबाएं.
  • निर्माताओं से निम्न बातों की मांग करें:
    • साफ, स्वच्छ और टिकाऊ उत्पाद की अधिक रेंज पर काम करें जो आसानी से उपलब्ध हो
    • ऐसे उत्पादों के शोध और विकास में निवेश किया जाए जो सुरक्षित हो और पर्यावरण पर सबसे कम असर डाले
    • जानकारी के साथ उत्पाद का चयन करने को बढ़ावा दिया जाए
  • नीति निर्माताओं से इस बात की मांग करें:
    • माहवारी स्वच्छता प्रबंधन से संबंधित शिक्षा/ जागरुकता को फैलाए जिसमें तमाम तरह के उपलब्ध उत्पादों की जानकारी शामिल हो
    • ग्राहक को चयन करने में सुविधा प्रदान करने के लिए उत्पाद की विभिन्न श्रेणियों को उपलब्ध करवाया जाए, साथ ही वो लड़कियों और महिलाओं की पहुंच में हो और वहन करने योग्य हो

देश को ऐसे माहवारी स्वच्छता उपायों की जरूरत है जिससे महिलाओं और लड़कियों की सेहत पर कम से कम खतरा हो और जिसके तहत माहवारी से जुड़े तमाम तरह के कूड़े को प्रभावकारी तरीके से निपटाने की गुंजाइश हो.

टिकाऊ और जानकारी के साथ माहवारी उत्पादों का चयन = स्वच्छता + सहजता + वहन करने योग्य + पर्यावरण के अनुकूल

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संपादक के लिए नोट

वॉटरएड

वॉटरएड, अंतरराष्ट्रीय, गैर लाभकारी संस्था है जो हर जगह और हर एक की पहुंच में साफ पानी, साफ शौचालय और स्वच्छता के लिए प्रतिबद्ध है. इन तीन जरूरी बातों पर टिकाऊ तरीके से ध्यान देने पर ही लोगों की जिंदगी बेहतर हो सकती है. 1986 से भारत में कार्यरत वॉटरएड ने पानी, सफाई और स्वच्छता की परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है जिसका फायदा भारत के 29 में से 13 राज्यों में गरीब और कमजोर समुदायों तक पहुंचा. अधिक जानकारी के लिए www.wateraidIndia.in,पर जाएं, ट्विटर पर @WaterAidIndia फॉलो करें या फेसबुक पर www.facebook.com/WaterAidIndia आएं.