माहवारी स्वच्छता प्रबंधन - सैनिटरी पैड की कमी को देखते हुए वैकल्पिक समाधान की ओर

लगभग दो महीनो के लॉकडाउन के बाद भारत एक नए सामान्य की ओर बढ़ रहा है। दो महीने पहले और अबके सामान्य में काफी अंतर है , पर इस बीच एक चीज़ जो नहीं बदली वो है माहवारी स्वच्छता प्रबंधन की तरफ ध्यान देने की ज़रूरत और प्रतिबध्तिता । 28 मई को माहवारी स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य है महिलाओं और किशोरियों को सुरक्षित और स्वच्छ मासिक धर्म का अनुपालन करने के लिए सही उत्पादों, सूचना और सुविधाओं का उपयोग करने के लिए अवगत कराना।
कोविड 19 के कारण कई चीज़ो के उत्पादन और वितरण में कमी आयी है, जिसे आपूर्ति में बांधा आ रही हैं। सैनिटरी पैड भी इसी कारण हर जगह उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। मेंस्ट्रुअल हेल्थ अलायन्स ने अप्रैल 2020 में एक सर्वेक्षण किया था । वाटरएड इंडिया मेंस्ट्रुअल हेल्थ अलायन्स का सह-अध्यक्ष है। सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं में 45 संगठन (एनजीओ और निर्माता) शामिल थे जो पूरे भारत में सैनिटरी उत्पादों का निर्माण या वितरण करते हैं, और समुदायों में माहवारी स्वच्छता को बढ़ावा देने का काम करते हैं।
सर्वेक्षण में लड़कियों और महिलाओं तक, कोविड के दौरान, पैड की पहुंच बढ़ाने की चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया। 82% संगठनों ने उल्लेख किया कि जिन समुदायों में वो काम करते है वहा मासिक धर्म के उत्पादों की या तो अत्यधिक कमी है या बिलकुल भी उपलब्धता नहीं है , विशेष रूप से सैनिटरी पैड की। इसका प्रमुख कारण उत्पादन इकाइयों का संचालित नहीं होना था। सर्वेक्षण में पाया गया कि छोटे और मध्यम स्तर के निर्माताओं में से 58% क्षमता पर काम करने में असमर्थ थे और 37% बिल्कुल भी चालू नहीं थे।
कुछ इकाइयों ने साझा किया कि वह फेस मास्क बना रही हैं जिस कारण पैड के उत्पादन में गिरावट आयी है।
सैनिटरी पैड की कमी के चलते किशोरियों और महिलाएं कपड़े का उपयोग करना शुरू कर सकती हैं लेकिन उनको इसके उचित उपयोग और रखरखाव के बारे में पर्याप्त जानकारी होना आवश्यक है।
इस बात का हल निकालने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग, मध्य प्रदेश ने वाटरएड के सहयोग से , किशोरियों और महिलाओं को स्वच्छ सूती कपड़े का उपयोग करके घर पर बने सूती कपड़े के पैड का उपयोग कर स्वच्छ माहवारी प्रबंधन के लिए एक विकल्प दिया हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग, मध्य प्रदेश द्वारा उठाए गए कदम के बारे में बोलते हुए, सुश्री राजपाल कौर, अपर निदेशक, ने कहा कि “मध्य प्रदेश में 97,000 आंगनवाड़ी केंद्र हैं जो 40 लाख लड़कियों और महिलाओं को उदिता योजना के माध्यम से सैनिटरी पैड उपलब्ध कराते हैं। इस वर्ष लक्ष्य 60 लाख लोगों तक पहुंचने का था, लेकिन कोविड 19 महामारी ने अप्रत्याशित बाधाएं पैदा कीं। महामारी ने सैनिटरी पैड की आपूर्ति में भी कमी पैदा की। मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन में लड़कियों और महिलाओं का समर्थन करने के लिए, डब्ल्यूसीडी मध्य प्रदेश उन्हें घर के सूती कपड़े के पैड जैसे वैकल्पिक तरीकों का उपयोग करने में मदद कर रहा है। राज्य का ग्रामीण अजिविका मिशन भी सक्रिय रूप से सैनिटरी पैड का उत्पादन और वितरण कर रहा है। एमएचएम के लिए सहायता प्रदान करने के लिए विभाग लड़कियों और महिलाओं के संपर्क में है।" सुश्री राजपाल कौर ने वाटरएड द्वारा दिए गए सहयोग की भी सराहना की ।
अरुंधति मुरलीधरन, प्रबंधक नीति, वाटरएड इंडिया, ने कहा,
“कोविड 19 के समय में माहवारी स्वच्छता पर ध्यान देना और भी अनिवार्य हो जाता है। हम कार्यरत है कि सभी किशोरी और महिलायें पैड की आपूर्ति ना होने की स्थिति में सही और सुरक्षित विकल्प आसानी से अपना पाए।
अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें: [email protected]